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pyar kya hai ?

सच्चे प्यार को कैसे पहचाने ? जानने के लिए पूरी कहानी पढ़े।  सपना एक ऐसी लड़की जो अपनी समझदारी से अपने मम्मी पापा का नाम रोशन करती हैं ,सपना अपने घर में सबसे लाड़ली होती है सब उसे बहुत प्यार करते है।  जब वो 1 8  साल की होती है तो उसके मम्मी पापा उसे शहर पढ़ने के लिए भेज देते है ,सपना कभी अकेली नहीं रही फिर कैसे शहर में अकेले रहती है  ?आईये जानते है।   जब सपना शहर गई तो उसने देखा यहाँ कोई किसी से  ज्यादा मतलब नहीं रखता ,अगर किसी के घर में  चोरी हो रही है तो ये सब देखकर भी सब अपनी आखे बंद कर लेते  थे।  ये सब देखकर सपना सोचती थी इसे अच्छा हमारा गांव है  एक दिन सुबह सपना जब पढ़ने के लिए जा रही थी तो उसने देखा एक लड़का लड़की के साथ बहस कर रहा था ,सपना वहा गई और बोला  क्या हो रहा है ये  जैसे ही सपना ने  ये पूछा जवाब में ये सुनने को मिला  उस लड़की ने बोला तुम कौन हो ये पूछने वाली हम कुछ भी करे तुमसे मतलब।  सपना को गुस्सा आया और वो वहा  से चली  गई तभी रास्ते में एक  पत्थर का टुकड़ा था सपना ने देखा नहीं और उसे टकराकर गिर पडी  तभी एक लड़के ने अपना  हाथ बढ़ाया और बोला " क्या मैं तुम्हारी

abala naaree kaise bni misal ki raanee

रोई थी  वो उस रात  सबने छोड़ा था जब उसका साथ।  बिन मौसम के नैनो से ,घंटो  होती रही बरसात  किया गुनाह क्या उसने ,कुछ धुंधला सा न याद रहा। अब जाए कहा वो ,ये सवाल खड़ा।  दिल को समझाती , सासो  के साथ साहस भरती खुद में , वो पल याद करके वो फिर घंटो तक रोती महफ़िल में।  चुभते रहे सवाल जैसे पाँव में काटे  कुछ साल नहीं कटी उसकी एक भी अच्छी राते।  उसे झकझोरती रही अपनों की वो कड़वी बाते  जब सब कुछ बोल उसे ,अकेले छोड़ जाते।। थोड़ी अनजान थी नादान थी  चेहरे पे लगी मुखौटो की उसे न पहचान थी।  फिर वक्त ने सिखाया उसे  हालातो से लड़कर ही सबकी पहचान बनी थी।  झांसी की रानी देश की शान बनी थी  महादेवी वर्मा कविताओं में जान भरी थी।  साहस से होता है यहाँ  सब ,आसुओ से नहीं।  न जाने कितनी महिलाये अपनी पहचान खो कर ही  , किसी की पहचान बनी थी।  थी काटे इन सबकी राहो में  चलकर उसपे  ही वो एक दिन महान बनी थी। जहा सम्मान आपका न हो पाए  कुछ करो ऐसा की आप वहा  की शान बन जाए। 

bharlo josh rag rag me

*  बदलेगा जमाना तो तुम भी बदल जाना।      छिड़ेगा युद्ध  तो तुम भी छेड़ देना।     सीने में गोली हाथ में तिरंगा लेना।     जो भी दुश्मन रास्ते  में आये उसे जिन्दा  जला देना। * वो खून ही क्या तुम्हारा, जिसमे जोश न हो।      पाना है कुछ तो ,मेहनत का   करो ऐसा  नशा        जिसमे  होश  न हो। * देगा वक्त तुम्हारा हरपल साथ।     मानलो आज वक्त की तुम भी बात।  * फूल खिला  बागो में सबको अच्छा लगता है     पर सिचा कैसे ''पानी'' माली ने किसी ने न पूछा  उसे।     जो अपना हर एक पल बस  बागो को दे जाता था।  * जोश भरो खुद में इतना।      जिंदगी भी बोले।      ऐसे ही बनकर  मिशाल  सबके  लिए।        तुम और  जीना।  * तुमपे कोई एहशान करे ,खुद को इतना न गिराना।          एहशान कर सको तुम सब पे।          बस  खुद को इतना काबिल बनाना।  * आसानी से कुछ मिलता  तो क्या थी  गिला।      तपकर ही  सोना बनता है पीला।  * सुन न सके जो तुम्हारी बात।    उसे देखकर मत हो तुम हतास।    कभी सुना है तुमने की बिन मौसम होती रही                महीनो बरसात।।   

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           किसको क्यों ?मिली सफलता।            जानने के लिए शुरू से अंत तक पढ़िए ये कहानी।        एक गांव में पांच भाई रहते थे। एक दिन पिता ने अपने बेटे को बुलाकर कहा ,तुम पांच भाई कल शहर  जाओगे और पांच साल बाद अपने मेहनत बुद्धि से सफलता हासिल करके आओगे और  जिसकी सफलता सबसे अधिक होगी उसको मै अपना राजमहल दूंगा ,शहर में एक महीने रहने खाने का खर्च भी मै  दूंगा।  पिता का आज्ञा मानते हुए पांचो भाई अगले दिन शहर के लिए निकल पड़ते है।  बड़े भाई का नाम संघर्ष था।  इसे छोटे भाई  का नाम  साहसी था , साहसी से छोटे भाई का नाम कोशिश था , इसे छोटे भाई का नाम किस्मत था , किस्मत से छोटे भाई का नाम बुद्धि था। पांचो एक साथ बस अड्डे पर पहुंच गए ,सब एक दूसरे से बात कर  रहे थे की कौन कहा जाएगा तभी संघर्ष ,साहसी ,कोशिश ने बोला हम दिल्ली जाएंगे। बुद्धि -किस्मत जहा  ले जायेगी हम वही जाएंगे।  ये सुनने के बाद तीनो एक साथ दिल्ली के बस में बैठ जाते है।   कुछ समय बाद किस्मत बुद्धि दिल्ली के लिए दूसरी  बस में बैठ जाते है।  संघर्ष -मुझे भूख लगी है बस जहा रुकेगी हम वहा कुछ खाएंगे।  साहसी -बड़े भाई बैठो

lut liya bhai ne bhai ko

लूट लिया भाई ने भाई को  पैसे की भूख थी ऐसी की भूल गया रिश्ते को  पहनकर बैठा है आज ताज सर पे  बड़े भाई का ताज पहन के  पैसो की भूख ऐसी छाईं की ,भाई के विस्वास का क़त्ल कर   इंसानियत  भी याद नहीं आयी।  भाई ने भाई को  गुरुर माना था पर भाई मगरूर बन बैठा।  जिस भाई ने कमाकर खिलाया चलना भी सिखाया , उसी भाई को लूट ले  गया।  पैसो की  कैसी -कैसी  कहानी ,लूट ले गया भाई -भाई की  जिंदगानी। बड़ा भाई न करता मेहरबानी तो आज छोटा भाई बेच रहा होता पानी।  जमीन से उठाके पलक पर न बैठना किसी को यारो  वरना ये खोखले रिश्ते नजरे मिलाने लायक   भी नहीं छोड़ेंगे तुमको।  कहते है भाई -भाई के काम आता है मुसीबत में   पर यहाँ तो जिंदगी में मुसीबत ला दिया  भाई  ने  जिस भाई की औकात एक गिलास पानी खरीदने की नहीं थी  बड़े भाई की वजह से आज वो हिरे का ताज खरीद  रहा है।  अपने भाई से नजरे नहीं मिला पाता, वो समाज से कंधे मिलाकर चल रहा है।  जरा खुद को आईने में देखो नजरे मिल रही है क्या तुम्हारी।  कितना अच्छा दस्तूर है झूठ बोलकर भी इंसान के अंदर गुरुर है।  भाई के बेवफाई से भाई का विस्वास बिखरा, 

MAA APNE BACHHO SE KYA CHAHTI HAI?

माँ अपने बच्चो से क्या चाहती है ? थोड़ा प्यार ,विस्वास ,एकता  माँ बचपन से अपने बेटे को संस्कार देती है  चलना दौड़ना खाना सिखाती है।  जब हम रोते थे बचपन में ,सभी  काम छोड़ हमे हसाने में लग जाती थी माँ  किसने मारा मेरे बाबू को ,ऐसा बोल जमी को मारने लगती थी।  मेरा बेटा राजा है बहादुर है ऐसा बोलकर मनोबल बढ़ाने लगती थी।  बचपन तो ऐसे बीत गई खुशियों में जैसे बचपन कम  मिली थी  , आज भी वो खुशियों के पल याद आते है  जब माँ कहती थी ,मेरा राजा बेटा खाना खालो वरना माँ  भी नहीं खायेगी ।  आज माँ बूढी हो गई है और उन्हें कोई खाना समय पर नहीं देता क्यों ? क्योकि वह काम नहीं कर सकती या वो बैठकर खा रही है।  बचपन में वो अपने राजा बेटे को उसके पीछे -पीछे जाकर खिलाती थी आज बेटा उसी माँ को बैठाकर  नहीं खिला पा रहा है।  जो माँ राजा बेटे के लिए सबसे लड़ जाती थी  वो बेटा आज उसी माँ  से लड़ रहा है।  जो माँ एक रोटी कम खाकर बेटे को भरपेट खिलाती थी अपने हाथो से , आज बेटा माँ ने कुछ खाया की नहीं ,नहीं पूछता।  जो माँ राजा बेटे को स्कूल से लेने कई किलो मिटेर पैदल चलती थी  आज बेटा पास के