abala naaree kaise bni misal ki raanee
रोई थी वो उस रात
सबने छोड़ा था जब उसका साथ।
बिन मौसम के नैनो से ,घंटो होती रही बरसात
किया गुनाह क्या उसने ,कुछ धुंधला सा न याद रहा। अब जाए कहा वो ,ये सवाल खड़ा।
दिल को समझाती , सासो के साथ साहस भरती खुद में ,
वो पल याद करके वो फिर घंटो तक रोती महफ़िल में।
चुभते रहे सवाल जैसे पाँव में काटे
कुछ साल नहीं कटी उसकी एक भी अच्छी राते।
उसे झकझोरती रही अपनों की वो कड़वी बाते
जब सब कुछ बोल उसे ,अकेले छोड़ जाते।।
थोड़ी अनजान थी नादान थी
चेहरे पे लगी मुखौटो की उसे न पहचान थी।
फिर वक्त ने सिखाया उसे
हालातो से लड़कर ही सबकी पहचान बनी थी।
झांसी की रानी देश की शान बनी थी
महादेवी वर्मा कविताओं में जान भरी थी।
साहस से होता है यहाँ सब ,आसुओ से नहीं।
न जाने कितनी महिलाये अपनी पहचान खो कर ही ,
किसी की पहचान बनी थी।
थी काटे इन सबकी राहो में
चलकर उसपे ही वो एक दिन महान बनी थी।
जहा सम्मान आपका न हो पाए
कुछ करो ऐसा की आप वहा की शान बन जाए।
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