lut liya bhai ne bhai ko
लूट लिया भाई ने भाई को
पैसे की भूख थी ऐसी की भूल गया रिश्ते को
पहनकर बैठा है आज ताज सर पे
बड़े भाई का ताज पहन के
पैसो की भूख ऐसी छाईं की ,भाई के विस्वास का क़त्ल कर इंसानियत भी याद नहीं आयी।
भाई ने भाई को गुरुर माना था पर भाई मगरूर बन बैठा।
जिस भाई ने कमाकर खिलाया चलना भी सिखाया ,
उसी भाई को लूट ले गया।
पैसो की कैसी -कैसी कहानी ,लूट ले गया भाई -भाई की जिंदगानी।
बड़ा भाई न करता मेहरबानी तो आज छोटा भाई बेच रहा होता पानी।
जमीन से उठाके पलक पर न बैठना किसी को यारो
वरना ये खोखले रिश्ते नजरे मिलाने लायक भी नहीं छोड़ेंगे तुमको।
कहते है भाई -भाई के काम आता है मुसीबत में पर यहाँ तो जिंदगी में मुसीबत ला दिया भाई ने
जिस भाई की औकात एक गिलास पानी खरीदने की नहीं थी
बड़े भाई की वजह से आज वो हिरे का ताज खरीद रहा है।
अपने भाई से नजरे नहीं मिला पाता, वो समाज से कंधे मिलाकर चल रहा है।
जरा खुद को आईने में देखो नजरे मिल रही है क्या तुम्हारी।
कितना अच्छा दस्तूर है झूठ बोलकर भी इंसान के अंदर गुरुर है।
भाई के बेवफाई से भाई का विस्वास बिखरा,
इतिहास गवाह है ये अभी तक नहीं निखरा।।
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