खौपनाक २०२०

चारो तरह है कोरोना ,

 कभी धुप की गर्मी करे सितम ,

फिर आया सावन झूम के ,

साथ में लाया बिजली का जखम ,

बादल घूम  रहे थे ऐसे ,

 जैसे - दौड़ में हार  न जाए ,

बरस रहे थे गरज- गरज ,

किसान परेशान थे हर तरफ ,

बंजर में भी हरियाली थी ,

फिर भी सुबह  में न लाली  थी। 

पैसे हाथ से जा  रहे थे 

आक्रोश से लोग चिल्ला रहे थे,

हर तरफ लाचारी थी। 

कही खून मर्डर हो रहे थे ,

कही चोरी की तैयारी थी ,

२०२० से न यारी थी। 

भागे लोग शहर से गांव ,

 गांव में भी आँधियो साथ बारिश तूफानी थी ,

लोग खुद को लगे बचाने ,

सबको जान अपनी प्यारी थी ,

२०२० को भगाने में जमकर अब तैयारी थी 




जय हिन्द 







 






टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

MAA APNE BACHHO SE KYA CHAHTI HAI?

kaun hai sbse bda -sanghrs,sahsi,koshish,kismat ya buddhi

shahr ka pradooshan

pyar kya hai ?

hai armaan mai bnu mahaan