dowry

है तू बहुत खुद्दार ,

मजबूर कर देता है लेने  को उधार।

थोड़ा सा भी कम  पड़ा तो  ,

बिच में लटका देता है अरमान। 

एक मिनट में अपनी शक्तियों से ,

ला देता है बड़े -बड़े लोगो में बदलाव। 

होता है प्यार दो दिलो में , 

फिर तू क्यों कर   देता है  अलगाव। 


उतार देता है माँ बाप की पगड़ी ,

बेटी की कर देता है दुःख भरी जिंदगी। 

तुझे किस नाम से पुकारू , " हु "बेखबर ,

होना है तुझसे रूबरू । 

माँ की ममता को खा गया तू ,

बाप की कमाई खा गया तू ,

भाई ने सपने नहीं देखे , और तू कहता है  'और ' दे - दे। 

खुश हो जाते है लोग तुझे पाकर ,

घुट -घुट कर जीती है वो बेटी तेरे घर आकर। 


तू कहता है गाड़ी चाहिए नहीं तो शादी को  'ना'  कर। 


सुन ऐ  समाज के रिवाज ,


तू बहुत तुच्छ है। 


जो पाया तुझे ,उसका भूख नहीं मिटा ,


जो दिया तुझे वो भूख से मर मिटा। 

दोस्तों पढ़ लिखकर तुम  करना इसका परहेज ,


रुला देता है  माँ - बाप को इसका नाम है "दहेज़"।


 





























 











 











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