ऐ कलम तुझसे तो इतिहास लिखा है तुझसे दर्द कहा छुपा है
मन उदास था हाथ में कलम थी
आखो में आसुओ संग ,
होठ पे मुस्कुराहट थी।
दिमाक परेशान था लिखू क्या मै ,
दिल कलम चलाते जा रहा था ' छोड़ू क्या ? मै '
दिल कलम से अपना हाल बता रहा था ,
दिल कहता है मैंने दुनिया देखि है पास से ,
जीते भी है यहा मरते भी है ,
मारते भी है शब्दों के बाण से।
ऐ 'कलम' यहा ठोकर लगते है कदम पे कदम ,
किसी को सच खा गया तो किसी को झूठ खा गया ,
बचा वो भी नहीं जो ये दोनों दबा गया।
खुश तो वो भी नहीं जो है बहुत अमीर ,
रोता है वो भी जो चलता है 'भिक्षु' के लिए मिलो दूर।
ए कलम तुझसे तो इतिहास लिखा है ,
तुझसे दर्द कहा छुपा है।
जय हिन्द
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