poetry

1 =नाजुक से दिल पे कितना वार हुआ 

      जख्म भरे न थे की  फिर प्यार हुआ 

     दिल  ने सोचा यही है मलहम 

     पर वो भी भाग गया घाव को देखकर। 

2 = उम्मीद रहती है जिसको जिस प्यार में 

 वही धोका देता है प्यार के आड़ में 

संभल के करना प्यार मेरे दोस्तों 

क्योकि ये नहीं मिलता बाजार में।।


3 =कलयुग में न रखना उम्मीद 

न होना किसी पे शहीद 

यहां  विश्वास टूटता है काच की   तरह 

अब तो प्यार में भी  नफरत है आग  की तरह 

4 =दर्द के आसु तन्हाई  में आते है 

जब अपने 'भरे' महफ़िल में छोड़ जाते है 

दिल धड़कता है टूट के भी 

आवाज नहीं आती रुठ के  भी। 



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