PAANI (WATER) KI JINDGI AND CHAAHAT(ABOUT WATERFALL)

*  कल -कल करती है झरने की पानी
    कठिन था डगर पर हार न मानी 
    ऊपर निचे ,निचे ऊपर 
   कभी डूबे तो कभी हसे खिलकर 
    खो जाए आगोस में मिलकर 
   एक पल में जिले जी भर कर 
  देखो इन्हे न फिक्र है खुद  की 
   बलखाती गुनगुनाती बस करे मदमस्ती 
 फिर क्या ?हुआ आज क्यों हो गई नाराज 
जो कभी गुनगुनाती थी आज बन गई है लास 
नज़रे इनकी ढूढ़ती है, है इन्हे पिछले वक्त की तलाश 
मिटेगी ये मिट जायेगी ये जहाँ  
डिपेन्ड है मानव पे चाहे तो कर दे एक नया विहान 
प्रदूषण मिटाओ वृक्ष लगाओ तभी मिलेगा  इन्हे सम्मान।।


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