maa aur bete ka rishta( gaav se shahr tk ka safr )
* गांव के लोग सोचते है बेटा शहर में कमा रहा है
बेटा को ही पता है की वह कितना तकलीफ उठा रहा है
घर में राजा बनकर रहता था बेटा
चंद पैसो ने शहर में नौकर बना दिया।
गलती किसी की नहीं ,यह तो दस्तूर है
पर इसमें इंसान का क्या कसूर है
जहा गांव में माँ प्यार से जगाकर खिलाती थी खाना
अब तो बेचारा थकान खाकर सो जाता है
हाय रे पैसा की ये कैसी कहानी
रो-रो कर सुनाता बेटा अपनी जिंदगानी
माँ अब तुमसे दूर नहीं रहा जाता
ये दर्द बड़ा हो गया अब नहीं सहा जाता
माँ बेटे से बात करते - करते गांव में रोती है
बेटा माँ को याद कर शहर में रोता है
माँ ने सोचा क्यों न अब शादी करा दू लल्ला की
झट -पट की बात और ले गई बारात
सेहरा सजा जब बेटे के सर पे
माँ खुश हुई अपनी आखे भरके
किया विदा फिर उसी शहर में
रखेगी ख्याल मेरे बेटे का इसी उम्मीद में
बेटा को बीबी मिली ,माँ को मिली ख़ुशी
तभी कई महीने बित गया
बेटा बात न किया
माँ करती जब -जब कॉल
बेटा बोलता रुको माँ थोड़ी और
हु अभी मै आफिस में ,करता कॉल अभी थोड़ी देर में
ये सिलसिला चलता रहा ,बेटा दिन पे दिन बदलता रहा
माँ याद कर रोइ बेटे को
तभी किया प्रार्थना और बोली सलामत रखना मेरे बेटे को
बड़ा होता है कितना माँ का दिल
जो माँ हमे सब देती थी जिद करने पे
हमारे लिए करती थी अपनी खुशिया भी कुर्बान
अब कैसे करे माँ बेटे से अपना दर्द बयान
आप बोलो ये फर्ज था बेटे का क्या ?
मत तोडना दोस्तों अपने माँ का दिल
माँ तो माँ होती है उनसे पूछो एहमियत
जिनकी माँ नहीं होती है। .
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